Inspirational Or Motivational Story in Hindi - 01

इस पोस्ट के माध्यम से आपको एक प्रेरणादायक कहानी Inspirational Or Motivational Story in Hindi  सुनाने जा रहा हूँ.


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Inspirational Or Motivational Story in Hindi - 01 


अपमान सहते हुए भी अपने सपने को पूरा करना



एक छोटी सी कहानी लिख रहा हूँ, जिसका शीर्षक है -

अपमान सहते हुए भी अपने सपने को पूरा करना


किसी गाँव में एक मिडिल क्लास का फैमिली रहता था. उस फैमिली या परिवार में एक सौतेली माँ, एक बालक और एक बालक का पिता रहता था.


एक बार की बात है. धन कमाने के लिए बालक का पिता प्रदेश चला जाता है, तो बालक अपनी सौतेली माँ के साथ रहता है.


 

सौतेली माँ उस बालक को हमेंशा दुख पहुँचाने का पूरा प्रयास करती रहती थी.


 एक दिन की बात है.


बालक बचपन से ही ड्राइंग करने का या चित्रकार बनने का पूरा शौक था.


वह बालक हमेंशा कुछ न कुछ चित्रकारी करता रहता था. उस बालक को चित्रकारी करने में अच्छा लगता था और उसे खुशी मिलती थी.


एक दिन की बात है -


जब वह बालक चित्रकारी करने के बाद सोने के लिए चला गया तो उसकी सौतेली माँ उसका चित्रकारी किया हुआ पेपर को भाड़ कर आग में जला दिया.


आग में जला दी.

कैसा लगा होगा उस बालक को.


कुछ समय के बाद बालक नींद से उठ कर अपनी चित्र को देखने के लिए पेपर को ढूंढने लगता है तो उसे नहीं मिलता है.


उसके बाद वह अपनी सौतेली माँ से पूछता है कि मैंने जिस पेपर पर चित्रकारी की है वह पेपर कहाँ है तो उसकी सौतेली माँ उसे डांट कर बोलती है.


मैं नहीं जानती तुम्हारा चित्रकारी किया हुआ पेपर कहाँ है और कहाँ गया है.


वह बालक बहुत निराश हो जाता है और हताश हो जाता है और दुखी-दुखी रहना रहने लगता है.


क्योंकि उसने बहुत मेहनत से चित्रकारी उस पेपर पर की थी.


उस चित्र को बनाने में उसे महीनों लग गए थे, इसलिए वह अपने कमरे में जाकर रोने लगा.


लेकिन उसे मनाने वाला और उसका हालचाल पूछने वाला कोई नहीं था.


तो उसने एक कॉपी को ही अपना सच्चा मित्र मानकर डायरी के रूप में अपना लिया और उस डायरी का नाम दिया - किकू मेरा प्यारा डायरी.


वह बालक जब भी निराश होता था.

 तब उस डायरी में अपने दुखों को लिखता था.


 उसका सपना था कि मैं एक चित्रकारी या कुशल कलाकार बन सकूँ.


कुछ वर्षों के बाद उसके पिता गाँव आए तो वो बालक अपने पिता को देखकर जोर-जोर से रोने लगा और कहने लगा पिताजी मैं इस गाँव में नहीं रहना चाहता हूँ.


मैं आपके साथ परदेस या प्रदेश जाना चाहता हूँ.


पिता ने जब बालक से पूछा बेटा तुम्हें क्या हुआ तो वह बालक रोते हुए अपनी सौतेली माँ के बारे में बहुत सारा शिकायत किया.


उसके बाद में पिता ने कहा ठीक है बेटा.


कुछ महीनों के बाद हम तुमको लेकर परदेस चलेंगे. बालक खुशी-खुशी मान गया.


 सौतेली माँ उस बालक को हमेंशा डराती रहती थी और उसे परेशान करते रहती थी.



वह सौतेली माँ उस बालक से छुटकारा पाना चाहती थी, इसलिए उसे सताया करती थी.


बालक का मन तो चित्र को बनाने में.


बालक को चित्र बनाने पर बहुत सुकून मिलता था वह खुशी-खुशी चित्रकारी करता था.


जब बालक के पिता जी ने चित्रकारी को देखा तो बहुत आश्चर्य हो गए और कुछ महीनों के बाद उसके पिताजी उस बालक को अपने साथ लेकर परदेस चले गए.


उसके बाद में उसका एडमिशन एक चित्रकारी ट्रेनिंग सेंटर में करा दिया.


 उसके बाद में ऐसा हुआ.


बालक अपने मन से ट्रेनिंग सेंटर में जाकर चित्रकारी सीखता था. उसके बाद में वह पिता के कामों में हाथ बँटाता था यानि सहायता करता था.


 कुछ समय के बाद वह चित्रकारी पूरी तरह से सीख गया.


वह बालक बड़ा हो गया और वह दूसरों के चित्र बनाकर पैसे कमाने लगा.


 उसके बाद में उसने जो सपना देखे थे.


 उसने पूरा करने की कोशिश करता रहा.


 अंत में वह बालक परेशानियों को सहते हुए और दूसरे के द्वारा सताते हुए भी अपने चित्रकारी की कला को मिटने नहीं दिया.


और उसने अपने सपने को सच किया यानि हकीकत सपने को सफलता पूर्वक पूरा किया.


इस कहानी से आपको क्या सीख मिला 


दोस्तों, इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है -


जब आप अच्छे काम करने के लिए आगे बढ़ते है, तो बहुत लोग आपको परेशान करते हैं.


आपके सपने को पूरा करने के लिए परेशान करते रहते हैं.


 दोस्तों, अपने सपने को पूरा करने के लिए पूरी हिम्मत, पूरी अपनी ताकत, पूरा संघर्ष लगा देना चाहिए ताकि आपका सोचा हुआ सपना पूरा हो सके.


धन्यवाद 


निष्कर्ष :-


यह छोटा सा Inspirational Or Motivational Story in Hindi कहानी आपको जरूर कुछ प्रेरणा या मोटिवेशन दिया होगा.


अपना कीमती समय देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.


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